Mid term assignment by bajrang shah

Mid term assignment
1. Write two poems, each in the voice of any historical or mythological character of your choice. You may want to choose a particular moment in that character's life and attempt to explore how they would respond to that moment.

विपदा में है सीता बेचारी
अशोक वाटिका में बंधी है नारी
राम परमेश्वर की राह है तकती
आकर ले जाए अयोध्या नरेश
यही इक प्राथना है हमारी
चारो तरफ वन का है घेरा
जनक पुत्री का है अशोक वाटिका बसेरा
हर पहर बस राम का है नाम जपती
लंका में भी है वो राम को ही ढूंढ़ती
विरह की ये कैसी घड़ी आयी है
रात भी कैसी बैरी हरजाई है

मै मंटो मेरा देश कौन सा है
सुनो फिर से बंटवारा करवाते है
मुझे ये दिल्ली पाकिस्तान में चाहिए
और कराची हिंदुस्तान में चला जाए
लकीरें जो खींची थी ज़मीं पर उस वक़्त
दो धर्म के दो देश बने थे
कौन सा हिंदुस्तान है मेरा
कौन सा पाकिस्तान है मेरा
जो कल तक खुद अपने देश में गुलाम थे
वो आज अपने मुल्क में हराम हो गए थे
क्या खुदा और भगवान को भी अपना अपना देश चुनना होगा?
टोबा टेक सिंह का मुल्क किस तरफ आता होगा?
बिस्मिलाह क्या ऐसा ही पाकिस्तान चाहता होगा?
बंटवारे में किसको क्या मिला
ना जिन्ना को उसका पकिस्तान मिला
ना नेहरू को उसका हिंदुस्तान मिला
फिर हम लोगो को हमारी मर्जी का वो आज़ाद मुल्क क्यों नहीं मिला
सुनो फिर से लकीर खीचते है, इस बार वो लकीरें इतनी मजबूत नहीं होगी
हम भी परिंदो की तरह उड़कर इधर उधर चले जाया चलेंगे
परिंदो को कोई वीज़ा नहीं लगता ना


2.Choose any two objects in your field of vision. A window, a person, an animal, a tree, a knife, a vehicle etc.. Write two poems that rely primarily on describing these two objects respectively.


रोज़ चीज़े बनाता हूं इक नए सिरे से
शुरुआत से खत्म करके अंत से शुरु करता हूं
ज़िन्दगी इक शर्ट की तरह टंगी रहती है हमेशा
जिनमे तेरी यादों के बटन टकने के लिए हमारी बातो के धागों की जरूरत पड़ती है
मै रोज़ वो शर्ट बदलने की कोशिश करता हूं
लेकिन उस शर्ट पर से तन्हा सियाह रातों के दाग़ नहीं मिटते
कई रातें उस शर्ट के फ्रंट पॉकेट में मिलती है मुझे
उस शर्ट से कुछ पुरानी यादों की महक आती रहती है
मै उस शर्ट का रंग भी बदल देता हूं
उसका रंग बरसात के मौसम में सतरंगी हो जाता है
सर्दियों में पीली धूप सा और गर्मियों में ठंडा नीला सा
मै सुबह उठकर फिर इक नई शुरुआत करता हूं
बातो को फिर से बुनता हूं नया धागा बनाता हूं
ताकि फिर से ये फटी शर्ट जैसी ज़िन्दगी सिल ली जाए


मेरी बालकनी के सामने इक खिड़की है
मै रोज़ उसके सामने आकर बैठ जाता हूं
किसी को देखने की चाह में
कोई आयेगा उस खिड़की से कूदकर
शायद मेरी बालकनी में
मै बांधकर इक रस्सी उस खिड़की
को मिला लेता हूं अपनी बालकनी से
अब इस बालकनी और खिड़की के बीच
कोई फासला नहीं है
उस खिड़की से रोज़ सूरज उगता और डूबता है
चौकोर खिड़की से चांद भी चौकोर दिखता है
मै अब इस खिड़की में बैठा हूं सामने इक बालकनी है
जहां पर रोज़ कोई आकर बैठता है
शायद मुझे देखने की चाह में

3.Write two poems that are triggered by news events within the last six months.

कलम पर पाबंदी है सोच पर ताला है
इमरजेंसी part-2 मुबारक हो
सब बुद्धिजीवियों को जेल में डाला जा रहा है
बद दिमाग लोगो को संसद में भेजा जा रहा है
मेरा देश जुमला बन गया है
लोगो को बस सेना और तिरंगे के नाम पर 
बहकाया जा रहा है
मेरा देश आज अंधेरे में जा रहा है
जो भी कुछ बोलने की कोशिश करता है
उसको देश के विकास के नाम पर चुप करवा देते है
हर दिन कोई गौरी लंकेश मरती है
अच्छे दिन अगर ऐसे ही होते हैं
अच्छे दिन आपको मुबारक हो
ये अमीरों की सरकार आपको मुबारक हो
मित्रो, इमरजेंसी पार्ट2 आपको मुबारक हो

मेरा देश आज चुप है
मेरा धर्मनिरपेक्ष देश आज चुप है
क्यों अखलाक की मौत पर वो चुप है
क्यों किसीको उसके मजहब के नाम पर मार दिया जाता है
क्यों मांस की बू से लोगो का दिमाग पागल हो जाता है
क्यों इक गाय के नाम पर मेरा देश आज जंगल बन गया है
क्यों मेरे लोग अाज धर्म के नाम पर अंधे हो गए है
इंसानियत से ज़्यादा लोग आज जानवर बन गए है
ना जाने कितने ही अखलाक अपने मजहब के नाम पर मारे जायगे
आज गौ रक्षक की जगह इंसान रक्षक की ज़रूरत है


Comments

  1. The one on 'khidki' was quite impressive. The way you collapsed distance, and then reversed the positions was brilliantly done.

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